Saturday 30 May 2015

जब देखा आपकी तस्वीर को...

जब देखा आपकी तस्वीर को,  
तो  भूल गए हम अपनी तक़दीर को I 
उमर ने तराशा आपको अपनी नज़र की बेक़रारी में,
और आपकी ख्वाइश लिए आँखों में 
रात काटी हमने गज़र के ग़मख़्वारी में I 

एक अज़ीब सी कश्मकश हर वक़्त रहती है, 
के कह दें आपको  की हाँ आपमें में हीं  मेरी जान बसती है,
पर  लगता है डर की कही आप  ऐ न कह दें की 
आपकी  दुनिया कहीं और बसती है I  

रचना : प्रशांत 

Wednesday 20 May 2015

हाँ माँ,तुमने ही तो सिखाया था...

हाँ माँ,तुमने ही तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
होता है चलना ये पैदल I

हाँ माँ,तुमने ही तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
गिरना हीं बनाता है,
कहीं पहुँचने को सफल I

हाँ माँ,तुमने हीं तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
धरती भी होती है माँ,
और कैसे चंदा है चंदा मामा I

हाँ माँ,तुमने हीं तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
कोरे कागज पे लकीरें,  
लेती हैं सांसें और बनाती हैं,
तकदीरें जो हो अटल I

हाँ माँ,तुमने हीं तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
सपनों  में होती है ताक़त,
की कैसे  आफत भी देते हैं हिम्मत I

हाँ माँ,तुमने हीं तो सिखाया था,
पहले पहल की कैसे,
बनना हैं रण का अर्जुन,
की कैसे करना हैं मोहन का सृजन ,
की हंसना हैं जैसे हंसा था  वो गौतम ,
की हराना हैं जैसे हारा था वो रावण I

रचना : प्रशांत



Tuesday 19 May 2015

कुछ देर हीं सही...

कुछ देर हीं सही, कुछ पल हीं सही,
तेरे दुनिया मे आये तो सही,
नज़रो में तेरी तस्वीर लिए ठहरे,
कुछ देर तेरी महफ़िल में पर बता ना पाए,
तेरी सांसों से मिलने को रही तरसती मेरी सांसें,
पर तेरे नज़रों के झीलों में कुछ पल हीं सही,
पर हम डूबे तो सही I

रचना: प्रशांत

फरियाद मेरी आप सुनें...

फरियाद  मेरी आप सुनें, पल बिताने के बहाने,
बातों बातों  मे बन जाए बात, कुछ सुनाने के बहाने,
बाकी उम्मीदें आपको दें जमा, कुछ संजोने के बहाने,
हमसफ़र ग़र आपको  हूँ  मैं मंज़ूर , तो दे  दें मुझे खुदको,
ये जीवन सजाने के बहाने I

रचना: प्रशांत