Tuesday 24 May 2016

क्या दूँ खुद को ???



किस बात को लेकर घमंड करूँ,        
किस बात को लेकर घमंड करूँ,
ख़ुशी की कीमत मे आंसू बहाऊँ,
ख़ुशी की भी कोई कीमत लगाऊँ I

तनहा कुर्सी  ले उड़ जाऊं,
ताज़ पहनकर राजा कहलाऊँ,
बचाऊँ  कुर्सी, भागता रहूँ,
ख़ुशी की कीमत मे आंसू बहाऊँ,
ख़ुशी की भी कोई कीमत लगाऊँ ई

किस बात को लेकर घमंड करूँ,
कुर्सी का चक्कर, कुर्सी की फिकर ,
चक्कर से आमिर, तुझे चक्कर का फिकर ,
पर वक़्त निकल जाए , वक़्त ना आए ,
क्या दूँ खुद को, यह समझ ना आए ई

रचना : प्रशांत 

Monday 2 May 2016

ना तलाक़ की बात हो सकी...

ना तलाक़ की बात हो सकी,
ना मिलने की दावात मिल सकी,  
आज़ाद हम अलग अलग चले,
रिश्ते मे बँधे रिश्ते से जुदा हम चले I

अब अलग हुए, अब आज़ाद हुए,  
ना आपके हुए, ना अपनो के हुए, 
फरेबी का नक़ाब, दुनिया का दस्तूर, 
दुनिया के लिए, दुनिया के हुए I 


रचना :प्रशांत