Thursday 21 December 2017

इसे हम क्या कहें?

इसे हम क्या कहें?
न सो पाएं न जागे रहे,
इसे हम क्या कहें?

बदल न पाएं, न वही रहे,
इसे हम क्या कहें?
उम्र बीत जाए पर बीती उम्र भूला न पाएं,
इसे हम क्या कहें?

रचना : प्रशांत

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