Tuesday 17 April 2018

राह ना छोड़ ...




वक़्त बदलने वाला है,
ताज़ बदल जाएगा, 

आज नही तो कल,
खुदा से उपर जिसको तू माने,
खुदा की नज़र हट जाएगा...
मालिक का राह न छोड़
वक़्त बाज़ी ले ना पाएगा
परवाह ना कर घावों का
ताज़ा खून बह जाएगा....
अपना ले ज़िंदगी, रूह की पुकार,
बदलता वक़्त, अपना नशा दे जाएगा,
हर पल ज़िंदा, ए-वक़्त तुझसे जी जीएगा ..
राह ना छोड़, ना कफ़न दे ज़मीर को
तेरे भरोसे खुदा भी रहेगा
इंतेज़ार खुदा को भी रहेगा....

रचना : प्रशांत

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